'एआई, डेटा साइंस, स्पेस कम्युनिकेशन ... तय करेंगे भविष्य के युद्ध की दिशा'

नौसेना और एसआरएम इंस्टीट्यूट ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

'एआई, डेटा साइंस, स्पेस कम्युनिकेशन ... तय करेंगे भविष्य के युद्ध की दिशा'

रक्षा तकनीक में अकादमिक सहयोग और आर एंड डी पर होगा खास जोर

कट्टनकुलथुर/दक्षिण भारत। भारतीय नौसेना के सामग्री (सूचना प्रौद्योगिकी और सेवा) के सहायक प्रमुख, रियर एडमिरल बी शिवकुमार ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, स्पेस कम्युनिकेशन और क्वांटम एनालिसिस भविष्य के युद्ध की दिशा तय करेंगे। इन क्षेत्रों में प्रशिक्षण, अनुसंधान और विकास भारतीय नौसेना और एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के लिए परस्पर लाभकारी होगा।

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उन्होंने भारतीय नौसेना और एसआरएम इंस्टीट्यूट के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि ऐसे समय में जब वे आयात पर निर्भरता कम करने पर विचार कर रहे हैं, विद्यार्थी उपकरणों, प्रणालियों के स्वदेशीकरण में अत्यधिक योगदान दे सकते हैं, जिनका अत्यधिक महत्व है। 

समझौता ज्ञापन पर नेवी वेलफेयर एंड वेलनेस एसोसिएशन अध्यक्ष कला हरि कुमार, रियर एडमिरल बी शिवकुमार और एसआरएम के वाइस चांसलर प्रो. सी मुथमिज़हेलवन ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर रजिस्ट्रार प्रो. एस पोन्नुसामी, सेंटर फॉर रिसर्च इन डिफेंस एंड इंटरनेशनल स्टडीज के सलाहकार प्रो. वीपी नेदुनचेझियान भी मौजूद थे।

रियर एडमिरल शिवकुमार ने कहा कि विद्यार्थी छोटे उपकरण और मॉड्यूल बनाकर मेक इन इंडिया में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना पहले से ही एक वैश्विक शक्ति है और नवीनतम तकनीकों से अवगत रहने के लिए विद्यार्थियों, शैक्षणिक संस्थानों और उत्कृष्टता केंद्रों की क्षमता का उपयोग करना आवश्यक है।

वरिष्ठ नौसेना अधिकारी ने कहा कि जहाज और पनडुब्बियां अत्याधुनिक हथियारों, प्रणालियों और सेंसर के साथ तकनीकी रूप से जटिल मंच हैं। सीमित, कठिन वातावरण में इन सभी उपकरणों का एकीकृत संचालन बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग के सभी विषयों - इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और सिविल सिखाया गया, उनके कौशल इन जहाजों पर थे।

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रियर एडमिरल शिवकुमार ने कहा कि एमओयू भारतीय नौसेना की स्थिति को वैश्विक गणना और भविष्य की प्रौद्योगिकियों में नौसेना कर्मियों के प्रशिक्षण के समुद्री बल के रूप में बनाए रखने में मदद करेगा।

कला हरि कुमार ने कहा कि एसआरएम इंस्टीट्यूट की ओर से भारतीय नौसेना के सेवारत कर्मियों और सेवा के दौरान अपने पिता को खोने वाले बच्चों के लिए विभिन्न बीटेक स्ट्रीम में हर साल 3 मुफ्त सीटें देना एक अद्भुत प्रयास था। उन्होंने कहा कि यह न केवल एनडब्ल्यूडब्ल्यूए के लिए समर्थन था, बल्कि एक स्वीकृति और भारतीय सशस्त्र सेवाओं को वापस देने का एक तरीका भी था।

उन्होंने कहा कि एनडब्ल्यूडब्ल्यूए युवाओं को स्वतंत्र, आत्मविश्वासी और जिम्मेदार व्यक्ति बनाने पर केंद्रित है। एसआरएम और एनडब्ल्यूडब्ल्यूए के बीच दृष्टि और उद्देश्य में इस समानता ने साझेदारी को और भी अधिक संतुष्टिदायक बना दिया। 

इस अवसर पर प्रो वाइस चांसलर (मेडिकल) लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ. ए रविकुमार, अतिरिक्त रजिस्ट्रार डॉ. टी. मैथिली, डीन और निदेशक भी उपस्थित थे।

समझौता ज्ञापन आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग और अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने तथा संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम एवं इंटर्नशिप परियोजनाओं के निर्माण के लिए भी मार्ग प्रशस्त करेगा।

इसके अलावा, यह विद्यार्थियों, एसआरएम के शोधकर्ताओं, भारतीय नौसेना के अधिकारियों के लिए रडार और माइक्रोवेव, उन्नत संचार प्रणाली, उन्नत डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रणोदन प्रणाली, इंस्ट्रुमेंटेशन अनुसंधान, एआई, क्वांटम विश्लेषण, डेटा विज्ञान और कई अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान संभव बनाएगा।

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