हमें पहाड़ जैसी ऊंचाई भले ही चढ़नी है, लेकिन इरादे आसमान से भी ज्यादा ऊंचे हैं: मोदी
प्रधानमंत्री ने लोक सेवा दिवस पर लोक सेवकों को संबोधित किया
'पहले यह सोच थी कि सरकार सबकुछ करेगी, लेकिन अब सोच यह है कि सरकार सबके लिए करेगी'
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोक सेवा दिवस पर शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में लोक सेवकों को संबोधित करते हुए उनसे राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को विस्तार देने का आह्वान किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस साल का लोक सेवा दिवस बहुत ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। यह ऐसा समय है, जब देश ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूर्ण किए हैं। यह ऐसा समय है, जब देश ने अगले 25 वर्षों के विराट-विशाल लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाना शुरू किया है।प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आज भारत के हर सिविल सेवा अधिकारी से यही कहूंगा कि आप बहुत भाग्यशाली हैं। आपको इस कालखंड में देश की सेवा का अवसर मिला है। हमारे पास समय कम है, लेकिन सामर्थ्य भरपूर है। हमारे लक्ष्य कठिन हैं, लेकिन हौसला कम नहीं है। हमें पहाड़ जैसी ऊंचाई भले ही चढ़नी है, लेकिन इरादे आसमान से भी ज्यादा ऊंचे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में अगर देश के गरीब से गरीब को भी सुशासन का विश्वास मिला है तो इसमें आपकी मेहनत भी रही है। पिछले 9 वर्षों में अगर भारत के विकास को नई गति मिली है तो यह भी आपकी भागीदारी के बिना संभव नहीं था। कोरोना संकट के बावजूद आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्ष 15 अगस्त को मैंने लाल किले से देश के सामने 'पंच प्राणों' का आह्वान किया था। विकसित भारत के निर्माण का विराट लक्ष्य हो, गुलामी की हर सोच से मुक्ति हो, भारत की विरासत पर गर्व की भावना हो, देश की एकता और एकजुटता को निरंतर सशक्त करना हो और अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखना हो। इन पंच प्राणों की प्रेरणा से जो ऊर्जा निकलेगी, वो हमारे देश को वो ऊंचाई देगी, जिसका वो हमेशा से हकदार रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत सिर्फ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर या आधुनिक निर्माण तक सीमित नहीं है। विकसित भारत के लिए आवश्यक है कि भारत का सरकारी सिस्टम हर देशवासी की आकांक्षा का सहयोग करे, विकसित भारत के लिए आवश्यक है कि भारत का हर सरकारी कर्मचारी देशवासियों के सपनों को सच करने में उनकी मदद करे, विकसित भारत के लिए आवश्यक है कि भारत में सिस्टम के साथ नेगेटिविटी, जो पिछले दशकों में जुड़ी थी, वो पॉजिटिविटी में बदले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी योजनाएं कितनी भी बेहतर क्यों न हों, अगर लास्ट माइल डिलीवरी ठीक नहीं होंगी तो अपेक्षित परिणाम नहीं मिलेंगे। आज देश और आप सभी के प्रयासों से सिस्टम बदला है और देश के करीब 3 लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचे हैं। आप सभी इसके लिए अभिनंदन के अधिकारी हैं। आज ये पैसे गरीबों के काम आ रहे हैं, उनके जीवन को आसान बना रहे हैं।
आज चुनौती यह नहीं है कि आप कितने एफिशिएंट हैं। चुनौती यह तय करने में है कि जहां जो डेफिशिएंसी है, वो कैसे दूर होगी। पहले यह सोच थी कि सरकार सबकुछ करेगी, लेकिन अब सोच यह है कि सरकार सबके लिए करेगी। अब सरकार सबके लिए काम करने की भावना के साथ समय और संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग कर रही है। आज की सरकार का ध्येय है राष्ट्र प्रथम, नागरिक प्रथम और आज की सरकार की प्राथमिकता है- वंचितों को वरीयता।