दो निवर्तमान मंत्रियों ने 2019 में जद (एस)-कांग्रेस सरकार गिरने के लिए सिद्दरामैया को ठहराया जिम्मेदार
सुधाकर और सोमशेखर पहले कांग्रेस में थे
सुधाकर ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि सिद्दरामैया ने विधायकों को आश्वासन दिया था कि ...
बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक की निवर्तमान भारतीय जनता पाटी (भाजपा) सरकार के दो मंत्रियों ने साल 2019 में कांग्रेस विधायकों के एक समूह के दलबदल के लिए बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरामैया को जिम्मेदार ठहराया। इस दलबदल की वजह से एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गठबंधन सरकार का 14 महीने बाद पतन हो गया था।
निवर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्वी वाली में सरकार में मंत्री के सुधाकर और एसटी सोमशेखर ने यह मुद्दा ऐसे समय उठाया है, जब सिद्दरामैया राज्य के नए मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शुमार हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार से है।सुधाकर और सोमशेखर पहले कांग्रेस में थे। कांग्रेस और जनता दल (सेक्यूलर) छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले 17 विधायकों में वे खुद भी शामिल थे। इस वजह से गठबंधन सरकार गिर गई थी और भाजपा के सत्ता में आने का रास्ता साफ हुआ था।
सुधाकर ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि सिद्दरामैया ने विधायकों को आश्वासन दिया था कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद वे तत्कालीन एचडी कुमारस्वामी नीत गठबंधन सरकार को एक भी दिन टिकने नहीं देंगे।
उन्होंने दावा किया, साल 2018 में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के दौरान जब कांग्रेस विधायक अपनी चिंताओं के साथ समन्वय समिति के अध्यक्ष सिद्दरामैया के पास गये तो उन्होंने असमर्थता जाहिर करते हुए कहा था कि सरकार में उनकी बिल्कुल नहीं चलती और स्वयं उनके क्षेत्र में भी काम रुके हुए हैं।
इसके अलावा, सिद्दरामैया विधायकों को साल 2019 के लोकसभा चुनावों तक इंतजार करने का आश्वासन देते थे और कहते थे कि 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद एक दिन भी तत्कालीन गठबंधन सरकार नहीं टिकेगी।
उन्होंने कहा कि अंतत: उनके सहित कुछ विधायकों को कांग्रेस छोड़नी पड़ी और उपचुनावों में जाना पड़ा।
सोमशेखर ने कहा कि समन्वय समिति का अध्यक्ष होने के बावजूद सिद्दरामैया ने कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार के दौरान विधायकों की चिंता दूर करने में हमेशा अपनी बेबसी जाहिर की।
उन्होंने कहा, कोई भी इस सच्चाई से इनकार नहीं कर सकता है कि इस वजह से हममें से कुछ को पार्टी छोड़नी पड़ी और उपचुनाव के लिए जाना पड़ा।
सुधाकर और सोमशेखर ने भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी के टिकट पर उपचुनाव लड़ा, जीते और सरकार में मंत्री भी बने।
सुधाकर 10 मई को चिकबल्लापुरा सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे, जबकि सोमशेखर ने बेंगलूरु की यशवंतपुर सीट से जीत दर्ज की थी।