पाकिस्तान की अदालत ने ईशनिंदा के आरोप में 4 लोगों को मौत की सजा सुनाई
पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मुद्दा है
कई लोग ऐसे भी हैं, जो उग्र भीड़ या सुरक्षा बलों के कर्मियों द्वारा मारे जा चुके हैं
इस्लामाबाद/दक्षिण भारत। पाकिस्तान की एक अदालत ने धर्मग्रंथ का अपमान करने वाली सामग्री साझा कर ईशनिंदा करने के मामले में चार लोगों को मौत की सजा सुनाई, जबकि एक अन्य के लिए सात साल के कठोर कारावास की घोषणा की।
बता दें कि पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मुद्दा है, जहां दोषी को मौत की सजा सहित कई तरह के कठोर दंड देने का प्रावधान है। कई लोग ऐसे भी हैं, जो उग्र भीड़ या सुरक्षा बलों के कर्मियों द्वारा मारे जा चुके हैं।इस्लामाबाद स्थित थिंक-टैंक सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज के अनुसार, वर्ष 1990 के बाद से 241 मिलियन की आबादी वाले इस दक्षिण एशियाई देश में कम से कम 1,415 लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है। उनमें से 89 लोग मारे गए हैं, जिनमें 18 महिलाएं और 71 पुरुष शामिल हैं। आरोपियों में अधिकतर बहुसंख्यक समुदाय से हैं।
सोमवार को रावलपिंडी जिला अदालत के जज अहसान महमूद मलिक ने फैजान रज्जाक, अमीन रईस, मुहम्मद रिजवान और वजीर गुल को मौत की सजा सुनाई, साथ ही 100,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया।
फैसले में कहा गया, दोषियों की मौत की सजा तब तक निष्पादित नहीं की जाएगी, जब तक कि लाहौर उच्च न्यायालय, रावलपिंडी बेंच, रावलपिंडी द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की जाती। पाकिस्तानी कानून के अनुसार, निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को उसके निष्पादन से पहले संबंधित उच्च न्यायालय द्वारा पुष्टि की जानी चाहिए।
अदालत के आदेश के अनुसार, एक अन्य आरोपी उस्मान लियाकत को मामले में सात साल के कठोर कारावास और 100,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
दोषियों पर पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने पिछले साल सितंबर में मामला दर्ज किया था, जब शिकायतकर्ता उमर नवाज ने उन पर एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाने और उस पर ईशनिंदा सामग्री साझा करने का आरोप लगाया था। आरोप-पत्र के अनुसार, एफआईए जांच दल ने समूह के फोरेंसिक विश्लेषण के बाद उन्हें अपराध का दोषी पाया।
पुलिस की शिकायत के अनुसार, यह फैसला पूर्वी पाकिस्तानी शहर जरानवाला में एक ईसाई पादरी एलिज़ार संधू को गोली मारकर घायल करने के एक दिन बाद आया है।