दिल्लीः जंतर-मंतर से सिद्दरामैया की हुंकार- यह कर्नाटक के हितों की रक्षा के लिए आंदोलन है

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है

दिल्लीः जंतर-मंतर से सिद्दरामैया की हुंकार- यह कर्नाटक के हितों की रक्षा के लिए आंदोलन है

Photo: @Siddaramaiah.Official FB Live

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरामैया के नेतृत्व में राज्य के मंत्रियों, कांग्रेस विधायकों ने बुधवार को यहां जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में कर हस्तांतरण और सहायता अनुदान में केंद्र सरकार द्वारा कर्नाटक के साथ ‘अन्याय’ का आरोप लगाया है।

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बता दें कि मुख्यमंत्री सिद्दरामैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ‘चलो दिल्ली’ के आह्वान के साथ 5 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी पहुंच गए थे।

मुख्यमंत्री सिद्दरामैया ने कहा कि जंतर-मंतर एक ऐतिहासिक स्थान है। हमारे सभी मंत्री और विधायक इस स्थान पर धरना दे रहे हैं। यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है। यह कर्नाटक के हितों की रक्षा के लिए आंदोलन किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कर वितरण में ‘अन्याय’ कर रही है। कर्नाटक में पांच-छह साल में जो 1.87 लाख करोड़ रुपए आने चाहिए थे, वे नहीं आए हैं। 14वें वित्त आयोग में हमारी टैक्स हिस्सेदारी 4.71 प्रतिशत थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 15वें साल में यह घटकर 3.6 फीसदी पर आ गई है। इसके परिणामस्वरूप 24 प्रतिशत की कमी के साथ 62,92,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

इस दौरान प्रदर्शनकारी अपने हाथों में तख्तियां लिए हुए थे, जिन पर ‘हमारा पैसा कहां है’ और ‘कर्नाटक के लिए न्याय’ जैसे नारे लिखे हुए थे।

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि कर्नाटक इस देश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। उन्होंने कहा कि हमारी कई मांगें हैं, जिनमें से एक है करों का उचित हस्तांतरण। 

उपमुख्यमंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि कर्नाटक के लोगों द्वारा दिए गए 100 रु. के बदले 30 रु. वापस मिलते हैं, जबकि उप्र, मप्र जैसे राज्यों के सन्दर्भ में यह राशि कहीं ज्यादा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हम किसी अन्य राज्य की प्रगति के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यदि समान राशि आवंटित की जाती है, तो विकास अधिक समान होगा। 

उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ की ओर से 18 हजार करोड़ रु. दिए जाने हैं, लेकिन राज्य को कुछ नहीं दिया गया। उन्होंने कलबुर्गी में रेलवे डिवीजन का मुद्दा उठाया और कहा कि हम साधारण सवाल पूछ रहे हैं और केंद्र सरकार टाल-मटोल कर रही है।

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