संस्कारों और प्रगतिशीलता का संतुलन ही जीवन की सफलता
मनुष्य इस बात को जल्दी समझ जाए कि उसका जीवन केवल उसके लिए नहीं है
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संजीव ठाकुर
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मनुष्य का हमेशा जिंदगी जीने के लिए एक ललक और प्यास रखने की आवश्यकता होती है जीवन को यह अंतिम जीवन हैं कहकर जीने की आवश्यकता होती है एवं इसे निश्चित धैर्य में बांधकर जीवन जीने की बजाए प्रयोग के साथ नवीनता और परिवर्तनशीलता लबालब रखना चाहिए मगर शर्त यह है कि यह मनुष्य के जीने का तरीका सामाजिक नियमों या परिपाटी का खुला उल्लंघन ना हो| खुले जीने के तरीके मनुष्य को आत्म संतुष्टि प्राप्त नहीं होती है| जीवन जीने का तरीका एक यह भी है की विपरीत परिस्थितियों से डटकर मुकाबला कर उसे सहज स्वीकारना चाहिए|
वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में जहां पूरी दुनिया एक वैश्विक ग्राम बनकर रह गई है वहां जीवन नाटकीय ता से परिपूर्ण हो सकता है क्योंकि मनुष्य का आज का जीवन विश्व की तमाम क्रिया प्रतिक्रिया एवं घटनाओं से काफी हद तक प्रभावित होता रहा है भले ही उससे समक्ष या परोक्ष रूप से मनुष्य जुड़ा हुआ हो या न हो| हाल की घटनाओं में ले लीजिए रूस यूक्रेन और इजराइल फिलिस्तीन युद्ध से पूरा विश्व जनमत प्रभावित हुआ है एवं वैश्विक महंगाई में भी इजाफा हुआ है क्योंकि विश्व के तेल आयातक देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए| मनुष्य के निजी जीवन में कई घटनाएं, दुर्घटनाएं आकस्मिक सामने आ जाती हैं तो ऐसे में मनुष्य को बिना हिचकिचाहट दर्शाए उन परिस्थितियों से रूबरू होकर उसका सामना संयम, मनोबल तथा पूरी शक्ति से करना चाहिए ऐसे में निश्चित तौर पर मनुष्य को विषम परिस्थितियों में सफलता प्राप्त होती है| क्योंकि मनुष्य को श्रम करने की आदत हो तो जीवन के अनेक पहलुओं को भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है|
जीवन के अनेक दृष्टिकोण से परिस्थितियों को गुणवत्ता के आधार पर स्वीकार तथा आज स्वीकार करते हुए निरंतर अग्रसर होते रहना चाहिए और कठिन श्रम निरंतर मेहनत पर मनुष्य को भरपूर भरोसा होना चाहिए| क्योंकि कर्म पर भरोसा रखने से और इस प्रक्रिया से भविष्य के परिणाम बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं जीवन को सकारात्मक विचारों के साथ निरंतर आगे बढ़ाकर परिस्थितियों का दास नहीं उस पर नियंत्रण करता होना चाहिए, तब जाकर मनुष्य अपने लक्ष्य को सफलता के रूप में प्राप्त कर सकता है| मनुष्य को केवल जीवन जीना ही नहीं है उसे उस जीवन को सफल और सफलता के चरमोत्कर्ष तक पहुंचाना होता है| साधारण जिंदगी जिए और मृत्यु को प्राप्त हो गए ऐसा जीवन तो जानवर पशु पक्षी भी जीते हैं यदि आपको मनुष्य योनि में जन्म मिला है तो इसे सार्थक करने के लिए आपको अनथक प्रयत्न कर इस लोक जगत और मानव सभ्यता के लिए परोपकार की भावना भी आपके व्यक्तित्व में समाहित करना होगा|
मनुष्य इस बात को जितने जल्दी समझ जाए कि उसका जीवन केवल उसके लिए नहीं है बल्कि संपूर्ण मानव जगत और इस भव संसार की भलाई के लिए भी है तब ही उसका जीवन सार्थक एवं सफल हो सकता है| साहस मनोबल और श्रम की परिणति ही परिवर्तन लाती है और परिवर्तन प्रकृति का नियम है और परिवर्तन से व्यक्ति समाज देश और संपूर्ण विश्व में खुशहाली लाती है| जीवन जीने का आशय जीवन में आकस्मिकता, परिवर्तनशीलता और निरंतर परिस्थितियों में सुधार लाने का प्रयास ही होना चाहिए, मनुष्य को निरंतर जीवन में परिवर्तन तथा नवाचार के लिए प्रयासरत रहना होगा तभी उसके जीवन का मूल उद्देश्य सार्थक एवं सफल हो सकता है|