सिद्दरामय्या ने कुमारस्वामी को भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आरोप साबित करने की चुनौती दी
'बिना दस्तावेजों और सबूतों के आरोप नहीं लगाए जाने चाहिएं'
Photo: Siddaramaiah.Official FB Page
दावणगेरे/दक्षिण भारत। केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी द्वारा कर्नाटक सरकार पर भ्रष्टाचार और मंत्रियों पर कमीशनखोरी का आरोप लगाए जाने के बाद मुख्यमंत्री सिद्दरामय्या ने रविवार को जद (एस) नेता को सबूतों के साथ अपने आरोपों को साबित करने की चुनौती दी।
उन्होंने कहा कि बिना दस्तावेजों और सबूतों के आरोप नहीं लगाए जाने चाहिएं।सिद्दरामय्या ने यहां संवाददाताओं से एक सवाल के जवाब में कहा, 'उन्हें इसे साबित करने दीजिए। उनसे यह साबित करने को कहिए कि 60 प्रतिशत कमीशनखोरी हो रही है और भ्रष्टाचार है। उन्हें इसे साबित करने दीजिए। सिर्फ आरोप लगाना नहीं है, बल्कि इसे साबित करना है।'
सिद्दरामय्या ने कहा कि केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी का यह आरोप कि 60 प्रतिशत कमीशन चल रहा है, निराधार और हवाई फायरिंग करने जैसा है। विपक्षी दलों का काम सिर्फ़ आरोप लगाना नहीं होता है। आरोप दस्तावेज़ों के साथ लगाए जाने चाहिएं और आरोप सिद्ध होने चाहिएं। बिना आधार आरोप नहीं लगाए जाने चाहिएं।
सिद्दरामय्या ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि सड़क परिवहन कंपनियों ने बसों के किराए में बढ़ोतरी की है। बसों के किराए में हमेशा बढ़ोतरी होती रही है। कर्मचारियों का वेतन, डीजल के दामों में बढ़ोतरी, बसों की खरीद और महंगाई। सालों पहले भी कीमतें बढ़ाई गई थीं, परिवहन निगमों की परेशानी और मांग के चलते कीमतें बढ़ाई गई हैं। क्या भाजपा और कुमारस्वामी के समय भी कीमतें नहीं बढ़ीं? क्या केंद्र सरकार ने रेलवे की दरें नहीं बढ़ाईं?
सिद्दरामय्या ने कहा कि यह सच है कि जिला और तालुका पंचायतों के चुनाव हुए पांच साल हो चुके हैं। यह मामला अदालत में चला गया है। वहीं इस मामले का निपटारा होना चाहिए। हम तालुका और जिला पंचायत चुनाव कराने के लिए तैयार हैं। अदालत के फैसले का इंतजार है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने आंतरिक आरक्षण देने की जो बात कही है, व्यावहारिक जानकारी के अभाव में नागमोहन दास के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई। हमारी सरकार आंतरिक आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है।
सिद्दरामय्या ने कहा कि क्या मंत्री सतीश जराकीहोली के घर पर दूसरे मंत्रियों का लंच में शामिल होना गलत है? जैसा कि पहले ही कहा गया है कि कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।