शिवकुमार स्वामी के सेवाकार्य युगों-युगों तक मानवता को दिखाएंगे कल्याण की राह
स्वामीजी के गुरुकुल में पांच से 16 वर्ष की आयु के 10,000 से अधिक बच्चे हैं
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शिवकुमार स्वामीजी साक्षात् परम ब्रह्म थे। वे अपने करोड़ों भक्तों के हृदय में विराजमान हैं। आप एक अप्रैल, 1907 को कर्नाटक के रामनगर जिले में स्थित वीरपुरा गांव निवासी वोक्कालिगा परिवार में शिवन्ना के रूप में अवतरित हुए। आप मां गंगम्मा और पिता होन्ने गौड़ा की 13 संतानों में सबसे छोटे थे।
गंगाधरेश्वर और होनादेवी के अनुयायी होने के कारण शिवन्ना के माता-पिता उन्हें वीरपुरा के आसपास स्थित विभिन्न धार्मिक स्थलों और शिवगंगे मंदिरों में ले जाते थे। जब शिवन्ना आठ साल के थे, उनकी माता गंगम्मा यह संसार छोड़कर चली गईं।शिवन्ना ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वर्तमान तुमकुरु जिले के गांव नागवल्ली के ग्रामीण एंग्लो-वर्नाक्यूलर स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने 1926 में मैट्रिक पास की। इस दौरान कुछ समय के लिए सिद्धगंगा मठ के रेजिडेंट-स्टूडेंट भी रहे।
शिवन्ना ने वैकल्पिक विषयों के रूप में भौतिकी और गणित के साथ कला का अध्ययन करने के लिए बेंगलूरु के सेंट्रल कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन स्नातक की डिग्री हासिल करने से पहले ही सिद्धगंगा मठ के प्रमुख के लिए उड्डना शिवयोगी स्वामी के उत्तराधिकारी के रूप में नामित कर दिया गया। शिवन्ना कन्नड़, संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओं में निपुण थे। उन्होंने 11 जनवरी, 1941 को शिवयोगी स्वामीजी के ब्रह्मलीन होने के बाद मठ का कार्यभार ग्रहण किया।
शिवकुमार स्वामीजी ने अपने प्रवचनों एवं आध्यात्मिक मार्गदर्शन से अनगिनत लोगों को आशीर्वाद दिया। इसके साथ ही देश को विद्यादान भी दिया। उन्होंने शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए कुल 132 संस्थानों की स्थापना की, जिनमें नर्सरी से लेकर इंजीनियरिंग, विज्ञान, कला और प्रबंधन के साथ-साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण के कॉलेज शामिल हैं। इनमें अध्ययन कर कितने ही विद्यार्थी आज विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं।
शिवकुमार स्वामीजी द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान संस्कृति के साथ ही आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा प्रदान कर समाज एवं देश की सेवा कर रहे हैं। उनके परोपकारी कार्यों के लिए सभी समुदायों के हृदय में उनके प्रति बहुत सम्मान है।
स्वामीजी के गुरुकुल में पांच से 16 वर्ष की आयु के 10,000 से अधिक बच्चे हैं। ये सभी धर्मों, जातियों और पंथों के लिए खुले हैं। यहां उन्हें निशुल्क भोजन, शिक्षा और आश्रय प्रदान किया जाता है। इसके अलावा मठ के यात्रियों और आगंतुकों के लिए भी निशुल्क भोजन उपलब्ध रहता है।
स्वामीजी के मार्गदर्शन में स्थानीय लोगों की आजीविका के लिए वार्षिक कृषि मेला भी आयोजित किया जाता है। कर्नाटक सरकार ने 2007 में स्वामीजी की शताब्दी जयंती पर शिवकुमार स्वामीजी प्रशस्ति की स्थापना की घोषणा की। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम भी स्वामीजी से तुमकुरु में भेंट कर उनके द्वारा किए जा रहे सेवाकार्यों की प्रशंसा कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 सितंबर, 2014 को स्वामीजी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया था।
स्वामीजी को 1965 में कर्नाटक विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। साल 2007 में उनकी शताब्दी पर कर्नाटक सरकार ने स्वामीजी को प्रतिष्ठित कर्नाटक रत्न पुरस्कार से विभूषित किया, जो राज्य का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। स्वामीजी को साल 2015 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
शिवकुमार स्वामीजी 21 जनवरी, 2019 को 111 साल की आयु में भौतिक शरीर त्यागकर अमर हो गए। आपके वचन एवं सेवाकार्य युगों-युगों तक मानवता को कल्याण की राह दिखाते रहेंगे।