उपभोक्ताओं के लिए राहत: रेस्तरांओं को 'सेवा शुल्क' लगाने से रोकेगी सरकार, बनाएगी कानूनी ढांचा
सरकार ग्राहकों से ‘सेवा शुल्क’ वसूलने वाले रेस्तरांओं को रोकने के लिए जल्द ही कानूनी ढांचा लेकर आएगी, क्योंकि पूरी तरह से ‘अनुचित’ है
नई दिल्ली/दक्षिण भारत/भाषा। सरकार जल्द रेस्तरांओं को सेवा शुल्क (सर्विस चार्ज) लगाने से रोकने के उपाय करने जा रही है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने यह जानकारी दी। अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात होगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ग्राहकों से ‘सेवा शुल्क’ वसूलने वाले रेस्तरांओं को रोकने के लिए जल्द ही कानूनी ढांचा लेकर आएगी, क्योंकि पूरी तरह से ‘अनुचित’ है।रेस्तरां और उपभोक्ता संघों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक के बाद सिंह ने कहा कि रेस्तरां और होटल उद्योग संघों का दावा है कि यह व्यवहार कानूनी रूप से गलत नहीं है। वहीं उपभोक्ता मामलों के विभाग का विचार है कि यह ग्राहकों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। साथ ही यह ‘अनुचित व्यापार व्यवहार’ है।
बैठक में नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई), फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई), मुंबई ग्राहक पंचायत और पुष्पा गिरिमाजी समेत उपभोक्ता संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
बैठक के दौरान एनआरएआई और एफएचआरएआई के प्रतिनिधियों ने कहा कि सेवा शुल्क लगाना गैरकानूनी नहीं है।
सिंह ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘हम जल्द ही एक कानूनी ढांचे पर काम करेंगे। अभी वर्ष 2017 के दिशानिर्देश थे जो उन्होंने लागू नहीं किए हैं। दिशानिर्देशों को आमतौर पर कानूनी रूप से लागू नहीं किया जा सकता।’
उन्होंने कहा कि एक ‘कानूनी ढांचा’ इस व्यवहार को रोकने के लिए उनपर कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा। आमतौर पर उपभोक्ता ‘सेवा शुल्क’ और 'सेवा कर' के बीच भ्रमित हो जाते हैं और इसका भुगतान कर देते हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि बैठक के दौरान विभाग की राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर उपभोक्ताओं द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
बयान के अनुसार, उपभोक्ता संगठनों ने कहा कि ‘सेवा शुल्क’ लगाना पूरी तरह से 'मनमाना' है और 'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम' के तहत यह अनुचित है। साथ ही यह प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है।