उच्च न्यायालय ने महिला से सहमति से संबंध का हवाला देकर व्यक्ति को दुष्कर्म के आरोप से मुक्त किया

शिकायतकर्ता ने वर्ष 2015 में पुणे पुलिस के समक्ष दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया

उच्च न्यायालय ने महिला से सहमति से संबंध का हवाला देकर व्यक्ति को दुष्कर्म के आरोप से मुक्त किया

व्यक्ति के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था

मुंबई/भाषा। बंबई उच्च न्यायालय ने 61-वर्षीया एक महिला द्वारा वर्ष 2015 में दर्ज दुष्कर्म के एक मामले में एक व्यक्ति को यह कहकर आरोप-मुक्त कर दिया कि दोनों ने आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए थे, न कि व्यक्ति ने जबरन।

Dakshin Bharat at Google News
न्यायमूर्ति भारतीय डांगरे ने चार मई को दिए अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता और 67-वर्षीय आरोपी व्यक्ति वर्ष 2005 से एक साथ थे। एकल पीठ ने कहा कि दोनों वयस्क थे तथा अपने कृत्यों के परिणाम को समझने में सक्षम थे और सब कुछ जानते हुए उन्होंने रिश्ते बनाए थे।

शिकायतकर्ता ने वर्ष 2015 में पुणे पुलिस के समक्ष दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि 2005 से व्यक्ति ने शादी का झूठा वादा करके कई मौकों पर उससे बलात्कार किया।

व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार, उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के आरोप में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि वर्ष 2005 से 2015 तक दोनों के बीच सहमति से संबंध बने थे। प्राथमिकी दर्ज कराने के वक्त शिकायतकर्ता की उम्र 54 साल थी, जबकि आरोपी 60 साल का था।

अदालत ने कहा, यहां दो वयस्कों के बीच संबंध था, जो अपने कृत्यों के परिणाम के बारे में भलीभांति समझते थे और यह कल्पना से परे है कि उनके बीच शारीरिक संबंध महिला की इच्छा या उनकी मर्जी के खिलाफ बने।

पीठ ने कहा कि महिला यह जानती थी कि व्यक्ति शादीशुदा है, इसके बावजूद उसने संबंध जारी रखा।

न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि बलात्कार का मामला तब बनता है, जब यह महिला की मर्जी के खिलाफ किया जाए।

पीठ ने कहा, मौजूदा मामले में आरोपी और महिला के बीच रिश्ता एक दशक तक चला और यह आसानी से समझा जा सकता है कि दोनों के बीच यह रिश्ता ‘परस्पर और सहमति’ पर आधारित था।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download