फर्जीवाड़े के उस्ताद
दुष्प्रचार और नशा, ये पाकिस्तान के दो ऐसे हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल वह भारत के खिलाफ दशकों से कर रहा है
पाकिस्तान के नेता और शीर्ष अधिकारी भी फर्जीवाड़े के 'उस्ताद' हैं
पड़ोसी देश पाकिस्तान सोशल मीडिया और मादक पदार्थों का इस्तेमाल कश्मीरी युवाओं के मन में कट्टरपंथ का जहर घोलने के लिए कर रहा है। थलसेना की 15वीं कोर के लेफ्टिनेंट जनरल एडीएस औजला ने उचित ही कहा है कि इन हथकंडों से पाकिस्तान कश्मीर की युवा पीढ़ी को हानि पहुंचाना चाहता है।
वास्तव में दुष्प्रचार और नशा, ये पाकिस्तान के दो ऐसे हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल वह भारत के खिलाफ दशकों से कर रहा है। समय के साथ नई तकनीक आई तो उसे भी इससे जोड़ लिया। पहले भारत के खिलाफ दुष्प्रचार के लिए रेडियो और पत्र-पत्रिकाओं को माध्यम बनाया जाता था। अब उसकी जगह सोशल मीडिया ने ले ली है।इसी तरह नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए परंपरागत तरीकों के बजाय ड्रोन को तरजीह दी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर आए दिन पाकिस्तानी ड्रोन मंडराते रहते हैं, जिन्हें भारतीय सुरक्षा बल मार गिराते हैं। रविवार रात को अमृतसर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बीएसएफ ने पाकिस्तानी ड्रोन धराशायी किया था। उसके साथ तीन किलोग्राम से ज्यादा हेरोइन थी। स्पष्ट रूप से इस नशीली सामग्री का उपयोग पंजाब और उसके निकटवर्ती क्षेत्रों में होना था।
जब पाकिस्तान की ओर से नशीले पदार्थ भेजे जाते हैं तो उस प्रक्रिया में नई तकनीक के बावजूद काफी जोखिम होता है। उस पर भारतीय सुरक्षा बलों की कड़ी नजर होती है। वहीं, सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री पोस्ट कर कश्मीरी युवाओं को भड़काने के काम में उतना जोखिम नहीं है। उसका प्रभाव भी व्यापक है। असल में दुष्प्रचार किसी भी नशे से ज्यादा खतरनाक है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी संगठन सोशल मीडिया पर भारत-विरोधी सामग्री खूब साझा कर रहे हैं।
पाकिस्तानी फौज की मीडिया शाखा की ओर से ऐसे गानों और फिल्मों का निर्माण किया जाता है, जिनमें भारत सरकार, सेना और हिंदू धर्म का ग़लत चित्रण होता है। इस सामग्री के निशाने पर कश्मीर के युवा तो हैं ही, पाकिस्तानी युवा भी हैं।
ऐसी कई रिपोर्टें आ चुकी हैं, जिनसे पता चलता है कि आईएसआई और पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जब युवाओं को आतंकवाद का प्रशिक्षण देते हैं तो उक्त गानों और फिल्मों का इस्तेमाल करते हैं। यह भी देखा गया है कि फिलिस्तीन, सीरिया और इराक के वीडियो को कश्मीर का बताकर युवाओं को गुमराह किया जाता है।
पाकिस्तान के नेता और शीर्ष अधिकारी भी फर्जीवाड़े के 'उस्ताद' हैं। साल 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने एक लड़की की तस्वीर यह कहते हुए लहराई कि वह कश्मीर में भारतीय सेना की गोलीबारी में घायल हुई थी। बाद में पता चला कि वह तस्वीर किसी फिलिस्तीनी लड़की की थी, जो दो साल पहले कई अख़बारों में प्रकाशित हो चुकी थी।
इसी तरह साल 2019 में अब्दुल बासित (जो भारत में पाक के राजदूत रह चुके हैं) ने एक तस्वीर यह लिखते हुए ट्वीट की कि इसमें दिखाई दे रहा शख्स कश्मीरी है, जो भारतीय सेना की पैलेट गन का शिकार हो गया और उसकी आंखों की रोशनी चली गई। जल्द ही बासित के झूठ का पर्दाफाश हो गया। पता चला कि वह शख्स कश्मीरी नहीं, बल्कि अमेरिकन था। वह अश्लील फिल्मों का अभिनेता था।
जब पाक के शीर्ष अधिकारी इस कदर फर्जीवाड़े में लिप्त हैं तो भाड़े के प्रशिक्षक, कट्टरपंथी और आतंकवादी ऐसा फर्जीवाड़ा क्यों नहीं करेंगे? जिस उम्र में कश्मीरी किशोरों और युवाओं को अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान देना चाहिए, पाकिस्तान साजिशन उन्हें कट्टरपंथ, पत्थरबाजी और आतंकवाद की ओर धकेलना चाहता है।
लेफ्टिनेंट जनरल औजला ने सत्य कहा है कि कश्मीर के युवा बहुत प्रतिभाशाली हैं। उनकी प्रतिभा का उपयोग समाज के उत्थान के लिए होना चाहिए। सेना और अन्य एजेंसियों को सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखते हुए ऐसे अकाउंट्स के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जो भारत-विरोधी दुष्प्रचार में लिप्त हैं।