अलविदा अनमोल 'रतन': प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा का हुआ निधन

वे सोमवार से ही आईसीयू में थे

अलविदा अनमोल 'रतन': प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा का हुआ निधन

Photo: ratantata Instagram account

मुंबई/दक्षिण भारत। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन नवल टाटा का निधन हो गया। उन्होंने बुधवार देर रात आखिरी सांस ली। वे 86 साल के थे।

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दो दशक से अधिक समय तक समूह के अध्यक्ष रहे टाटा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन से देशभर में शोक छा गया। रतन टाटा उद्योगपति होने के साथ ही बहुत बड़े दानवीर भी थे। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान अरबों रुपए का दान दिया था।

रतन टाटा को पद्म विभूषण समेत कई सम्मानों से नवाजा गया था। वे सोमवार से ही आईसीयू में थे। 

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 को मुंबई में हुआ था। पारसी परिवार से आने वाले रतन टाटा ने आठवीं कक्षा तक कैम्पियन स्कूल, मुंबई में पढ़ाई की थी। इसके बाद उन्होंने मुंबई में कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, शिमला में बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई की थी। 

रतन टाटा ने न्यूयॉर्क के रिवरडेल कंट्री स्कूल से भी शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने हाई स्कूल के बाद कॉर्नेल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया, जहाँ से वर्ष 1959 में वास्तुकला में स्नातक की डिग्री ली थी। वर्ष 2008 में, टाटा ने कॉर्नेल को 50 मिलियन डॉलर दान में दिए थे। यह इस विश्वविद्यालय के इतिहास का सबसे बड़ा दान था।

रतन टाटा अविवाहित थे। उन्होंने वर्ष 2011 में कहा था, 'मैं चार बार शादी करने के करीब पहुंचा, लेकिन हर बार मैं डर के मारे या किसी न किसी कारण से पीछे हट गया।'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रतन टाटा के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर कहा, 'रतन टाटा के निधन से भारत ने एक ऐसे आदर्श को खो दिया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट विकास को राष्ट्र निर्माण के साथ तथा उत्कृष्टता को नैतिकता के साथ मिश्रित किया था। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित, उन्होंने टाटा की महान विरासत को आगे बढ़ाया और इसे और अधिक प्रभावशाली वैश्विक उपस्थिति दी। उन्होंने अनुभवी पेशेवरों और युवा छात्रों को समान रूप से प्रेरित किया।'

राष्ट्रपति ने कहा, 'परोपकार और दान के क्षेत्र में टाटा का योगदान अमूल्य है। मैं उनके परिवार, टाटा समूह की पूरी टीम और दुनियाभर में उनके प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'मेरे मन में रतन टाटाजी के साथ हुईं अनगिनत मुलाकातें भरी पड़ी हैं। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब उनसे अक्सर मिलता था। हम विभिन्न मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करते थे। मुझे उनके विचार बहुत समृद्ध करने वाले लगे। दिल्ली आने पर भी यह बातचीत जारी रही। उनके निधन से बेहद दुखी हूं। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।'

प्रधानमंत्री ने कह कि रतन टाटा का सबसे अनोखा पहलू था- बड़े सपने देखने और दूसरों को कुछ देने का उनका जुनून। वे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता, पशु कल्याण जैसे मुद्दों को आगे बढ़ाने में सबसे आगे थे।

उन्होंने कहा कि रतन टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, एक दयालु आत्मा और एक असाधारण इन्सान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया। अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के लिए अटूट प्रतिबद्धता के कारण वे कई लोगों के प्रिय बन गए।

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