रिश्तों की डोर थामने के लिए विश्वास, प्यार और वाणी में मधुरता जरूरी: साध्वीश्री संयमलता
माता-पिता हाेना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है

बच्चे हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के राजाजीनगर के तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में साध्वीश्री संयमलताजी के सान्निध्य में 'कैसे थामें रिश्ताें की डाेर’ नामक कार्यशाला का आयाेजन किया गया।
साध्वीश्री संयमलताजी ने कहा कि रिश्ताें की डाेर थामे रखने हेतु विश्वास, प्यार और वाणी में मधुरता हाेना जरूरी है। घर काे स्वर्ग बनाए रखने के लिए जुबान काे नरम, आंख में शर्म रखना चाहिए।उन्हाेंने आज के बढ़ते माेबाइल युग में टूटते रिश्ताें काे संभालने के लिए 3-डी फार्मूला समझाया। अनेक प्रेरणादायी दृष्टांताें के माध्यम से बच्चाें में संस्काराें का बीजाराेपण करने के लिए माता-पिता काे प्रेरणा दी।
साध्वी मार्दवश्रीजी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि बच्चे अस्पताल में पैदा हाेकर हाॅस्टल एवं हाेटल वाले बन जाते हैं। बच्चाें में संस्कार देने हेतु माता-पिता अपने समय का नियाेजन करें यह निवेश किया हुआ समय उनके बुढ़ापे में काम देने वाला हाेगा।
प्रशिक्षिका मधु कटारिया ने भी पेरेंटिंग के बारे में बताते हुए कहा कि माता-पिता हाेना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, यह न केवल हमारे बच्चाें काे पालने और उनकी देखभाल करने तक ही सीमित है, बल्कि उन्हें एक अच्छा इंसान बनने और उन्हें जीवन के लिए तैयार करने के बारे में भी है। बच्चे हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं और ये भविष्य के नेता हैं।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा राजाजीनगर के अध्यक्ष अशाेक चाैधरी, तेयुप के अध्यक्ष कमलेश चाेरड़िया, महिला मंडल की अध्यक्षा उषा चाैधरी सहित अन्य सदस्य उपस्थित थे।
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