यह 'मनमानी' क्यों?

किन्नर भारतीय समाज का हिस्सा हैं

यह 'मनमानी' क्यों?

किन्नर द्वारा लोगों से किया गया अमर्यादित व्यवहार अनुचित है

हाल में मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में चलती ट्रेन में किन्नरों के समूह ने एक युवक को जिस तरह पीट-पीटकर मौत के घाट उतारा, उससे कई सवाल खड़े होते हैं। इस घटना का वीडियो जब से वायरल हुआ है, सोशल मीडिया पर बड़ी तादाद में लोगों ने बताया कि पूर्व में उन्हें भी बुरे अनुभव का सामना करना पड़ा था। देश में हर नागरिक को गरिमापूर्ण ढंग से जीवन जीने का अधिकार है, लेकिन किसी को यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह लोगों से मनमाने तरीके से धन छीने। किन्नर भारतीय समाज का हिस्सा हैं। एक नागरिक होने के नाते उन्हें वे सभी अधिकार हैं, जो अन्य लोगों को होते हैं। अक्सर कुछ लोग उन पर आपत्तिजनक एवं अशोभनीय टिप्पणियां करते हैं, जो बिल्कुल गलत है। ऐसा करना उस इन्सान के अस्तित्व का अपमान करना है, लेकिन किसी किन्नर द्वारा लोगों से किया गया अमर्यादित व्यवहार भी अनुचित है। लोगों की शिकायत रहती है कि कुछ किन्नर ट्रेनों, बसों और सार्वजनिक स्थानों पर परेशान करते हैं, रुपए मांगते हैं। अगर कोई व्यक्ति रुपए देने से इन्कार करता है या कम रुपए देता है तो वे उसके लिए बहुत ही आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं। कई बार टकराव की नौबत आ जाती है। यह जबरन 'वसूली' नहीं है तो क्या है? लोग अपनी खुशी से दे देते हैं, लेकिन कोई व्यक्ति न देना चाहे तो उसे इसके लिए बाध्य क्यों किया जाए? रुपए कमाना कोई आसान काम नहीं है। व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई किसी को अकारण ही न देना चाहे तो उसे अशोभनीय शब्दों से नवाज़ना और पिटाई करना कहां तक जायज है? मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में भीख मांगने और भीख देने, दोनों को ही हतोत्साहित करने के लिए कुछ सख्त कदम उठाए गए हैं। अब समय आ गया है कि सरकारें उन सभी लोगों के खिलाफ सख्ती बरतें, जो ट्रेनों, बसों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नागरिकों से रुपए मांग-मांगकर उन्हें परेशान करते हैं। जो व्यक्ति इस तरह रुपए मांगता है, उसे कोई हुनर सिखाने की व्यवस्था की जाए, ताकि वह खुद का कामकाज करे, लोगों को न सताए। आज सोशल मीडिया की पहुंच दुनियाभर में है। जब विदेशी पर्यटक ऐसी घटनाएं देखते होंगे तो क्या सोचते होंगे? क्या वे ऐसी जगह जाना चाहेंगे, जहां लोगों से इस तरह 'वसूली' की जाती हो?

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जब किसी के घर में ब्याह-शादी होती है, बच्चे का जन्म होता है तो किन्नर वहां जाकर 'बधाई' देते हैं। चूंकि खुशी का मौका होता है, इसलिए लोग उन्हें खाली हाथ नहीं लौटाते, लेकिन ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जब लोगों ने उन पर मनमानी रकम मांग कर परेशान करने का आरोप लगाया। कई इलाकों में तो लोगों ने सभाएं आयोजित कर यह मुद्दा उठाया और तय किया कि किन्नरों द्वारा ज्यादा रकम मांगे जाने और परेशान किए जाने पर पुलिस को सूचित करेंगे। कई लोग पुलिस को ज्ञापन दे चुके हैं कि किन्नरों की मनमानी से रंग में भंग पड़ता है, लिहाजा कुछ अंकुश लगाया जाए। पिछले महीने उत्तराखंड के कई ग्रामीणों ने प्रशासन से शिकायत की थी कि उनके यहां शादी और बच्चे के जन्म आदि पर किन्नर मनमानी रकम 'वसूलने' आ जाते हैं। जब संबंधित परिवार ज्यादा रुपए देने में असमर्थ होता है तो ये लोग वहां धरना देते हैं, आपत्तिजनक हरकतें करते हैं और जमकर खरी-खोटी सुनाते हैं। भोपाल निवासी एक व्यक्ति बताते हैं कि शुभ अवसर के बाद किन्नर पार्टियां आकर बेहिसाब रुपए देने के लिए मनमानी करती हैं, नाजायज दबाव बनाती हैं। एक बार उनके घर पर ऐसी ही 'पार्टी' आई, जिसने बहुत बड़ी रकम मांगी। जब परिवार ने इतनी रकम देने से इन्कार किया तो वे लोग अश्लील हरकतें करने लगे। आखिरकार पांच हजार रुपए लिए और महिला की सोने की बाली उतरवा ली। कुछ साल पहले पश्चिम बंगाल के मालदा जिले का एक मामला बहुत चर्चा में रहा था, जहां किन्नरों ने एक नवजात को करीब तीन घंटे तक अपने पास रखा और ढोल बजाते हुए बहुत बड़ी रकम मांगते रहे। बाद में पता चला कि उस बच्चे की भूख के कारण मौत हो गई! आम आदमी यह 'मनमानी' क्यों झेले? इस पर तुरंत लगाम लगाई जाए।

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