अपुष्ट जानकारी, सेहत पर भारी

सोशल मीडिया पर मिली जानकारी चिकित्सा का विकल्प नहीं है

अपुष्ट जानकारी, सेहत पर भारी

स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए

इन दिनों विभिन्न बीमारियों के 'इलाज' के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी की भरमार है। कई लोग दो-चार वीडियो देखकर खुद ही अपने 'डॉक्टर' बनने की कोशिश में मुसीबत मोल ले रहे हैं। अपुष्ट, अप्रमाणित एवं अवैज्ञानिक जानकारी सेहत पर भारी पड़ सकती है। कुछ विशेषज्ञ भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जानकारी देते हैं, लेकिन वे कभी नहीं कहते कि इसके आधार पर कोई मरीज ख़ुद ही अपना डॉक्टर बन जाए। जानकारी देने का मकसद जागरूकता का प्रचार-प्रसार करना होता है। यह डॉक्टर की जगह नहीं ले सकती। उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक युवक ने पेटदर्द होने पर यूट्यूब से जानकारी हासिल की और अपनी सर्जरी करने लगा। मामला बिगड़ना ही था, इसलिए उसे बीच में अस्पताल जाना पड़ा। अगर सर्जरी करना इतना ही आसान होता तो आज हर कोई सर्जन बन चुका होता! डॉक्टरों को इतने अध्ययन और शोध की क्या जरूरत थी? वीडियो देखकर अपनी या किसी की सर्जरी करने का सीधा-सा मतलब है- सेहत से खिलवाड़ करना। यह कोई पहला मामला नहीं है। कोरोना काल में सोशल मीडिया पर सही-ग़लत, हर तरह की सामग्री खूब शेयर की गई थी। किसी ने कहा कि फलां पेय पदार्थ का सेवन कर लेंगे तो कोरोना आसपास भी नहीं आएगा। किसी ने दावा किया कि फलां पक्षी के अपशिष्ट में इसका इलाज है। एक शख्स के मन में विचार प्रकट हुआ कि सैनिटाइज़र से हाथ साफ हो जाते हैं, अगर यह फलों और सब्जियों पर छिड़क दिया जाए तो कैसा रहेगा! उसके इस प्रयोग से पूरे परिवार की तबीयत खराब हो गई थी। एक व्यक्ति के खेत में भवन निर्माण संबंधी काम चल रहा था। इस दौरान उसकी आंख में कुछ गिर गया। उसने सोशल मीडिया पर कोई नुस्खा ढूंढ़ा और एक वनस्पति का फल घिसकर आंख में लगा लिया। उससे इतनी भयंकर पीड़ा हुई कि वह जोर से चीखा। उसने भविष्य में ऐसी सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा करने से तौबा कर ली और तुरंत अस्पताल गया। वहां एक अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञ के इलाज से उसे आराम मिला।

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सोशल मीडिया पर 'सौंदर्य निखारें', 'वजन घटाएं' और 'वजन बढ़ाएं' जैसे वीडियो भी खूब देखे जाते हैं। हाल में भारत समेत दुनियाभर में ऐसे कई मामले सामने आए, जब किसी ने अपनी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए चेहरे पर ऐसी चीज़ का लेप लगा लिया, जिससे त्वचा में संक्रमण फैल गया। तेजी से वजन घटाने और बढ़ाने, दोनों ही तरह की कोशिशें खतरनाक हो सकती हैं। एक युवती ने मोटापा दूर करने के लिए हद से ज्यादा व्यायाम किया और खानपान में भारी कटौती कर दी। इसका नतीजा यह हुआ कि उसे चक्कर आने लगे और अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। राजस्थान में एक ग्रामीण युवक को कहीं से 'पता चला' कि मुंबई में रहने वाला उसका पसंदीदा अभिनेता यूं ही इतना बलिष्ठ नहीं है, वह हर चीज़ में 14 अंकों का आंकड़ा लेकर चलता है। उदाहरण के लिए- रोजाना 14 गिलास पानी पीना, 14 फलों का रस पीना, 14 हजार कदम चलना! युवक को पक्का यकीन था कि इसी आंकड़े पर अमल करते हुए वह अभिनेता इतना तगड़ा हो गया कि अपनी हर फिल्म में गुंडों की पिटाई कर देता है। युवक ने उस अभिनेता जैसा बलिष्ठ दिखने के लिए इस आंकड़े को अपने जीवन में पूरी तरह उतारने की कोशिश की, लेकिन उसके पास उतने संसाधन नहीं थे। वह एक वक्त में 14 रोटियां खाने लगा! 14 मिर्च, 14 प्याज खाते-खाते उसकी हालत खराब हो गई। उसके सिर से बड़ी मुश्किल से वह जुनून उतरा। सोशल मीडिया का इस्तेमाल एक-दूसरे के साथ जुड़ने और उपयोगी जानकारी साझा करने के लिए किया जाए तो यह मंच उल्लेखनीय भूमिका निभा सकता है। इसे चिकित्सा का विकल्प बिल्कुल नहीं बनाना चाहिए। सुनी-सुनाई और अपुष्ट बातों पर भरोसा करने से बड़ा नुकसान हो सकता है। इसे हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।

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