सिद्धांतों और परंपराओं के आधार पर महावीर जन्म कल्याणक मनाने की आवश्यकता: आचार्यश्री विमलसागरसूरी
'विश्व कल्याणकारी सिद्धांताें काे जन-जन तक पहुंचाना बहुत जरूरी है'

'भ्रमित मानसिकता से समाज काे बाहर आना हाेगा'
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के वीवी पुरम स्थित सिमंधर शांतिसूरी जैन श्वेताम्बर संघ के तत्वावधान में गुरुवार काे एक धर्मसभा काे संबाेधित करते हुए आचार्यश्री विमलसागरसूरीश्वरजी ने कहा कि भगवान महावीरस्वामी का नाम लेने वाले ताे लाखाें हैं, पर उनके काम करने वाले बहुत कम। सिर्फ उनके नाम स्मरण तथा मंदिराें और मूर्तियाें के निर्माण से काम पूरा नहीं हाे जाता। उनके विश्व कल्याणकारी सिद्धांताें काे जन-जन तक पहुंचाना बहुत जरूरी है। वही धर्म की सच्ची प्रभावना है और वह धर्म की आराधना जितनी ही महत्त्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि आज धर्म की आराधना करने वालाें की तादाद बढ़ी है लेकिन धर्म की प्रभावना का कार्य बहुत पीछे छूट गया है। भाेजन समाराेह, भेंट साैगाताें और बड़े-बड़े आयाेजनाें काे धर्म की प्रभावना समझ लिया गया है, जबकि वास्तविकता यह नहीं है।उन्होंने कहा कि इस भ्रमित मानसिकता से समाज काे बाहर आना हाेगा। धर्म काे जीवंत रखने के लिए महावीर स्वामी के अहिंसा, अपरिग्रहवाद, अनेकांतवाद, कर्मवाद जैसे सिद्धांताें काे समझने और उनके व्यापक प्रसार-प्रचार पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। लाेकजीवन में इन सिद्धांताें के गहरे उतरने से विश्वशांति और मानवजाति की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हाेगा। इस प्रकार ही जैनधर्म जिंदा रह सकता है।
जैनाचार्य विमलसागरजी ने कहा कि महावीर जन्म कल्याणक सिद्धांताें और परंपराओं के आधार पर मनाने की आवश्यकता है। परस्पर सद्भावना, सामाजिक एकता, युवा जागरण, सामान्य वर्ग की उन्नति, धन से ज्यादा गुणाें की पूजा, व्यसनमुक्त समाज, चारित्रिक निर्माण और प्राचीन परंपराओं के निर्वहन के रूप में भगवान महावीरस्वामी का जन्म कल्याणक मनाने की सार्थकता है। धन से धर्म नहीं महकेगा, गुणाें से ही उसे आदर्श बनाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश और आधुनिकता की आंधी में यदि हम धर्म के सिद्धांताें अथवा अपनी परंपराओं काे बदलते चले गए ताे धर्म और समाज का बहुत अहित हाे जाएगा, जाे किसी के लिए भी शुभ नहीं हाेगा।
आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी ने उपस्थित बेंगलूरु के विभिन्न जैन संप्रदायाें और वर्गाें के लाेगाें का आह्वान करते हुए कहा कि आगामी 10 अप्रैल काे हर जैन काे टाउन हाॅल से प्रभु महावीरस्वामी के जन्मकल्याणक की शाेभायात्रा में सम्मिलित हाेना है। उस दिन हर जैन काे एक शुभ संकल्प
लेना है।
उन्होंने कहा कि पिछले सैंतीस वर्षाें से बेंगलूरु का जैन युवा संगठन जाे आयाेजन कर रहा है, उसे ऐतिहासिक बनाना है। इस बार का आयाेजन सार्थक स्वरूप में लंबे समय तक याद किया जाना चाहिए। महावीर हमारे हैं, पर हम महावीर के हैं या नहीं, यह तभी सिद्ध हाेगा। इस अवसर पर शहर के अनेक जैन संघाें और संगठनाें के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
शुक्रवार काे आचार्य विमलसागरसूरीश्वरजी, गणि पद्मविमलसागरजी और सहवर्ती श्रमणजन वीवी पुरम से पदयात्रा कर नगरथपेट स्थित अजीतनाथ जैन संघ में जाएंगे।