खुशहाली के लिए अभियान बने वृक्षारोपण : प्रधानमंत्री

खुशहाली के लिए अभियान बने वृक्षारोपण : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन समुदाय को प्रकृति से जु़डेन का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि प्रकृति में असीम ताकत है और इससे जीवन में दृ़ढता आती तथा ताकत उत्पन्न होती है इसलिए पे़ड लगाने को महत्व दिया जाना चाहिए और वारिश के मौसम में वृक्षारोपण को अभियान के रूप में चलाया जाना चाहिए। मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने कार्यक्रम ’’मन की बात’’ में कहा कि प्रकृति को यदि हम अपने भीतर समाहित कर लें और उससे हमारा जु़डाव होता है तो इससे शरीर में नई ऊर्जा और नई चेतना का संचार होने लगता है और फिर पंचभूतों का यही मिश्रण हमारी असीम ताकत बन जाती है। उन्होंने कहा कि प्रकृति की इसी ताकत को पहचानते हुए संयुक्तराष्ट्र ने इस बार पांच जून को पर्यावरण दिवस की विषय वस्तु भी ’’जनसमुदाय को प्रकृति से जो़डना’’ रखा है। इसका मतलब खुद को प्रकृति से जो़डना है। प्रकृति को हम ताकत देंगे तो वह हमें असीम ताकत देगी। उन्होंने कहा, हमारा कर्त्तव्य है कि हम उसकी भी चिंता करें, हम उसकी भी परवाह करें। डप्त्रैंख़य्त्रय् फ्ष्ठद्मय्यद्मद्भह्र ·र्ैंर्‍ त्र·र्ैंध्र्‍र्ड्डैंह्र फ्ष्ठ झ्यद्य्यघ्त्र ब्ह्र ध्ह्ख्प्रधानमंत्री ने लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों की तकलीफों से परिचित होने का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें इसे समझने के लिए आजादी की जंग के तीर्थों की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, आज वीर सावरकरजी की जयंती है। मैं देश की युवा पी़ढी को ़जरूर कहूंगा कि हमें जो आ़जादी मिली है उसकी कैसी यातना लोगों ने झेली थी, कितने कष्ट झेले थे, अगर हम सेलुलर जेल जाकर के देखें, काला पानी क्यों कहा जाता था, जाने के बाद ही पता चलता है। आप भी कभी मौका मिले तो ़जरूर, एक प्रकार से हमारी आ़जादी की जंग के तीर्थ क्षेत्र हैं, ़जरूर जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा पी़ढी में इतिहास, स्वतंत्रता सेनानियों, देश के लिए बलिदान देने वाले लोगों और उनके विषय में जानने में रुचि रख रही है। उन्होंने लोगों से स्वतंत्रता सेनानियों के लेखन को प़ढने को भी कहा। फ्·र्ैंय्द्यय्ह्वद्ब·र्ैं ृय्ध्ह्घ्द्मय् द्धध् ख्रष्ठत्रर्‍ ब्स्प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने पर हो रही प्रतिक्रियाओं का स्वागत करते हुए कहा कि लोकतंत्र में शासन का जबावदेह होना चाहिए और सकारात्मक आलोचनाएं इसे बल देती हैं। मोदी ने अकहा कि पिछले महीने से जन संचार माध्यमों अखबार, टीवी चैनलों और सोशल मीडिया में वर्तमान सरकार के तीन वर्ष का लेखा-जोखा चल रहा है। मेरा स्पष्ट मानना है कि लोकतंत्र में सरकारों को जवाबदेह होना चाहिए, जनता-जनार्दन को अपने काम का हिसाब देना चाहिए। मैं उन सब लोगों का धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने समय निकाल करके हमारे काम की गहराई से विवेचना की है। मोदी ने खुशी जताई कि विश्व योग दिवस तीन साल में संसार के हर कोने तक पहुंच चुका है और दुनिया को जो़डने में लगा है इसलिए २१ जून तक वह योग की महत्ता को लेकर प्रति दिन ट्वीट करेंगे। उन्होंने इसे भारत की ब़डी उपलब्धि करार दिया और कहा कि जब दुनिया में कुछ ताकतें विखराव का अभियान छे़डे हुए हैं ऐसे में शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को जो़डने वाला योग अब दुनिया को भी जो़डने लगा है और ऐसे समय में विश्व को भारत की यह एक बहुत ब़डी देन है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर अपने लोकप्रिय कार्यक्रम ’’मन की बात’’ पर आधारित एक पुस्तक का लोकार्पण करने के लिए रविवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का आभार प्रकट किया। मोदी ने कहा, दो दिन पहले राष्ट्रपति भवन में आदरणीय राष्ट्रपतिजी, आदरणीय उपराष्ट्रपति जी, आदरणीय स्पीकर महोदया सबने ’’मन की बात’’ पर एक विश्लेषण पुस्तक का समारोह किया। एक व्यक्ति के नाते, सामान्य नागरिक के नाते, ये घटना मेरा बहुत ही उत्साह ब़ढाने वाली है।

स्वच्छता को जन आंदोलन बनाने का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कू़डा-कचरे को कबा़ड नहीं बल्कि संसाधन मानते हुए इसके प्रबंधन की नए तौर तरीके विकसित किए जाने चाहिएं। सरकार ने प्रमुख चार हजार शहरों में ठोस और गीले कचरे के लिए अलग-अलग डिब्बा रखने की योजना बनाई है। इसे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पांच जून से लागू किया जाएगा। ठोस-कचरे के लिए नीला तथा गीले कचरे के लिए हरा डिब्बा रखा जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रमजान महीने की शुरुआत के मौके पर देशवासियों को बधाई दी और कामना की कि इससे शांति और सद्भाव की भावना प्रबल होगी। उन्होंने कहा कि इस देश को सभी मतों एवं समुदायों के लोगों पर गर्व है। देश में रमजान का पाक महीना शुक्रवार को आरंभ हुआ। उन्होंने कहा, रमजान में प्रार्थना, आध्यात्मिकता और जकात (दान) को काफी महत्व दिया जाता है। हम हिन्दुस्तानी बहुत ही भाग्यवान हैं कि हमारे पूर्वजों ने ऐसी परंपरा निर्माण की कि आज भारत इस बात का गर्व कर सकता है।

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