ज्ञान, धन और शक्ति
प्रधानमंत्री के ऐसे दौरे को चीन और पाकिस्तान की एजेंसियां बहुत गौर से देखती हैं
अगर सुरक्षा बलों का मनोबल मजबूत होगा, जवान खुश व उत्साहित रहेंगे तो शत्रुओं का डटकर सामना करने में अधिक समर्थ होंगे
हर साल की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सुरक्षा बलों के साथ दीपावली मनाई। हिमाचल प्रदेश के लेप्चा में जवानों के साथ दीपावली मनाते हुए मोदी के संबोधन के गहरे मायने हैं। सरहद पर दुश्मन की हरकतों पर कड़ी नजर रखते हुए और विकट मौसमी व भौगोलिक परिस्थितियों से जूझने वाले जवान जब दीपावली पर प्रधानमंत्री को अपने बीच पाते हैं तो उनमें खुशी व उत्साह का नया संचार हो जाता है। वहीं, यह चीन व पाकिस्तान जैसी उन ताकतों को भी कड़ा संदेश है, जो भारत की शांति व प्रगति को बर्दाश्त नहीं कर पातीं। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद दीपावली के अवसर पर सियाचिन, गुरेज सेक्टर, राजौरी, लोंगेवाला, नौशेरा, कारगिल, हर्षिल समेत जिन स्थानों का दौरा किया और जवानों से मिले, उससे एक बहुत सकारात्मक संदेश जाता है। दीपावली, होली, क्रिसमस, ईद ... जैसे खास दिन भी अपने घर-परिवार से दूर ये जवान सीमा पर इसलिए तैनात रहते हैं, ताकि उनके देशवासी बिना किसी बाधा के त्योहार मना सकें। जब प्रधानमंत्री अपने देश के जवानों से मिलने जाते हैं तो इससे उन सबका हौसला बढ़ जाता है। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद दीपावली के दिन जब सेना की वर्दी पहनकर जवानों को संबोधित किया तो विपक्ष की ओर से कुछ सवाल भी उठाए गए, लेकिन ज्यादातर देशवासियों ने प्रधानमंत्री के इस फैसले को सराहा। किसी भी देश की समृद्धि व शांति का सीधा संबंध उसके सुरक्षा बलों से होता है। अगर सुरक्षा बलों का मनोबल मजबूत होगा, जवान खुश व उत्साहित रहेंगे तो उन शत्रुओं का डटकर सामना करने में अधिक समर्थ होंगे, जो देश की प्रगति में बाधाएं डालते रहते हैं।
प्रधानमंत्री के ऐसे दौरे को चीन और पाकिस्तान की एजेंसियां बहुत गौर से देखती हैं। चूंकि प्रधानमंत्री के भाषण में इन देशों के लिए एक तरह से ललकार भी छिपी होती है, इसलिए उनके एक-एक शब्द का विश्लेषण किया जाता है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि दीपावली का त्योहार सिर्फ लक्ष्मी की आराधना तक सीमित नहीं है। इसका आरंभ तो नवरात्र में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के पूजन से ही हो जाता है। फिर, दशहरे पर रावण दहन भी यह संदेश देता है कि सत्य की रक्षा करनी है तो शक्ति-संपन्न बनना होगा। दीपावली पूजन के लिए 'लक्ष्मीजी का पाना' देखें तो उसमें भी कम से कम एक शस्त्र (गणपति के हाथ में) के दर्शन जरूर होंगे। देश के लिए बुद्धि, ज्ञान और धन के साथ 'सही हाथों' में शस्त्र होना चाहिए। अगर शस्त्र नहीं होगा या सही हाथों में नहीं होगा तो न ज्ञान के केंद्र सुरक्षित रहेंगे और न धन रहेगा। इतिहास में कुछ ऐसा ही होते हम देख चुके हैं, जब ज्ञान व धन से समृद्ध होने के बावजूद हमें विदेशी आक्रांताओं के अधीन रहना पड़ा। हमारे पर्व-त्योहार हमें ज्ञान व धन से समृद्ध होने के साथ ही शक्ति की आराधना करने और शक्ति-संपन्न होने की भी शिक्षा देते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के इन शब्दों का सार भी यही है- 'आज दुनिया में जिस तरह के हालात हैं, उनमें भारत से अपेक्षाएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे अहम समय में यह बहुत जरूरी है कि भारत की सीमाएं सुरक्षित रहें, देश में शांति का वातावरण बना रहे। इसमें आपकी बहुत बड़ी भूमिका है। भारत तब तक सुरक्षित है, जब तक इसकी सीमाओं पर आप हिमालय की तरह अटल और अडिग मेरे जांबाज साथी खड़े हैं। आपकी सेवा के कारण ही भारत भूमि सुरक्षित है और समृद्धि के मार्ग पर प्रशस्त भी है।'