टाइगर ट्रायम्फ: फायरिंग रेंज में भारत-अमेरिका के सैनिकों ने संयुक्त अभ्यास किया

आपसी सैन्य सहयोग को मिला बढ़ावा

टाइगर ट्रायम्फ: फायरिंग रेंज में भारत-अमेरिका के सैनिकों ने संयुक्त अभ्यास किया

प्रशिक्षण में नेतृत्व और जुड़ाव पर जोर दिया

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। भारत-अमेरिका सैन्य सहयोग के एक महत्त्वपूर्ण प्रदर्शन में, दोनों देशों के सैनिकों के अभ्यास 'टाइगर ट्रायम्फ 2025' के हिस्से के तौर पर 2 अप्रैल से 4 अप्रैल तक दुव्वाडा फायरिंग रेंज में गहन संयुक्त प्रशिक्षण चरण का आयोजन किया गया।

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इस अभ्यास ने दोनों सेनाओं के बीच बढ़ते तालमेल, युद्ध एवं मानवीय सहायता क्षेत्र में संचालन, सामरिक समन्वय और परिचालन तैयारियों को बढ़ाने में मदद की है। प्रशिक्षण की शुरुआत दोनों टुकड़ियों के कमांडिंग अधिकारियों के संयुक्त उद्घाटन भाषण से हुई। इसके बाद 8 गोरखा राइफल्स इन्फेंट्री बटालियन ग्रुप के कमांडिंग ऑफिसर द्वारा परिचय दिया गया। 

अमेरिकी सेना की टुकड़ी, जिसमें 1 बटालियन, 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट (बॉबकैट्स) और 1 स्ट्राइकर ब्रिगेड कॉम्बैट टीम, 11वीं इन्फैंट्री डिवीजन (आर्कटिक वोल्व्स) के कार्मिक शामिल थे, को भारतीय सेना के प्रशिक्षण के तरीकों और संयुक्त अभ्यास के उद्देश्यों के बारे में जानकारी मिली।

प्रशिक्षण का मुख्य आकर्षण रियर एडमिरल ग्रेग न्यूकिर्क, यूएसएन की भागीदारी थी, जिन्होंने 8 गोरखा राइफल्स इन्फैंट्री बटालियन ग्रुप के कमांडिंग ऑफिसर के साथ लाइव फायरिंग अभ्यास और जंगल लेन शूटिंग अभ्यास में भाग लिया। उनकी भागीदारी ने संचालन प्रशिक्षण में नेतृत्व और जुड़ाव पर जोर दिया। 

इस कार्यक्रम में पूर्वी नौसेना कमान मुख्यालय और एकीकृत रक्षा स्टाफ (आईडीएस) मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया, जिससे द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के लिए उच्च स्तरीय प्रतिबद्धता और मजबूत हुई।

प्रशिक्षण चरण में छोटे हथियारों से निशाना साधना और जंगल में युद्ध की रणनीति को शामिल किया गया, जिसमें भारतीय और अमेरिकी सैनिकों को मित्र टीमों के रूप में 100 मीटर की दूरी से लाइव फायरिंग अभ्यास, 50 मीटर की दूरी पर नजदीकी लड़ाई में गोलीबारी और घने इलाकों में मुठभेड़ों का सामना करने के लिए डिजाइन किए गए जंगल लेन शूटिंग अभ्यासों के लिए जोड़ा गया।

इसके अलावा सैनिकों को एकीकृत फील्ड क्राफ्ट (आईएफसी) प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें बाधा नेविगेशन, सामरिक गतिविधि और भू-भाग आधारित युद्ध तकनीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया। लड़ाकू चिकित्सा सहायता मॉड्यूल ने युद्धक्षेत्र में प्राथमिक चिकित्सा और घायलों को निकालने की प्रक्रियाओं में महत्त्वपूर्ण प्रशिक्षण दिया।

फायरिंग रेंज में संयुक्त प्रशिक्षण ने भारत-अमेरिका सैन्य संबंधों को और मजबूत किया तथा सैनिकों के बीच आपसी सम्मान, विश्वास और सौहार्द को बढ़ावा दिया।

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