गाय भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग
पंचगव्य कई असाध्य रोगों के उपचार और प्रतिरक्षा के निर्माण में सहायक होता है
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ई. प्रभात किशोर
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न्यायालय के निर्णय में कहा गया है कि ऋग्वेद के अनुसार, गाय के दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर का उपयोग करके तैयार किया गया पंचगव्य कई असाध्य रोगों के उपचार और प्रतिरक्षा के निर्माण में सहायक होता है| आयुर्वेद के अनुसार गव्यं पवित्रं च रसायनं च, पथ्यं च हृदयं बलबुद्धिम| आयुः प्रदं रक्तविकारहारि, त्रिदोषहृद्रोगविषापहं स्यात (अर्थात पंचगव्य शुद्ध रसायन है| यह आहार और हृदय के लिए लाभकारी है| यह आयु, शक्ति और बौद्धिक क्षमतावर्द्धक है और रक्त की सभी अशुद्धियों को नष्ट करता है| यह तीन दोषों यथा- वात, पित्त और कफ का नाशक है तथा यह हृदय संबंधी विकारों को ठीक कर सकता है)| धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गाय अनादि काल से भारतीय समाज में ध्यान का केंद्र और पूजनीय रही है| सनातन धर्म के अनुयायी सदियों से गाय की वंदना करते आ रहे हैं| वैदिक संस्कृति की मान्यता के अनुसार गाय में ३३ कोटि (श्रेणी) की देवी-देवताओं का वास होता है| भगवान कृष्ण ने अपना समस्त ज्ञान गाय की छत्रछाया में प्राप्त किया था| भगवदगीता (१०.२८) में उन्होंने कहा है धेनुनस्मि कामधुकः (अर्थात मैं जो भी हूं, गायों में कामधेनु हूं)|
सनातन धर्मं में कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व बड़े धूमधाम से एवं भक्तिभाव से मनाया जाता है तथा गौ माता की पूजा की जाती है| यह वयस्कता का उत्सव है जब नंद ने समारोह आयोजित कर पांच वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले कृष्ण तथा बलराम को उस समय की परम्परा के अनुसार वृन्दावन के गायों की देखभाल की जिम्मेवारी सौंपी थी| चारों वेदों ने गाय के महत्व पर प्रकाश डाला है और उसे सृष्टि का प्रतीक बताया है| ऋग्वेद में कहा गया है कि गाय रुद्र की माता, वसु की पुत्री, आदित्य (अग्नि) की बहन, अमृत (दूध) का भंडार एवं गृह अघन्या है और उसकी कभी भी हत्या नहीं की जानी चाहिए| उसकी पूजा एवं सेवा से मानव को मोक्ष की प्राप्ति होती है| यजुर्वेद के अनुसार, गो समाना न विद्यते, अर्थात गाय ही संसार के जीवित प्राणियों में से एक है जो आदि से अंत तक उपयोगी है| सामवेद के अनुसार गाय से प्राप्त सभी वस्तुएँ पवित्र होती हैं| अथर्ववेद के अनुसार, धेनूः सदनं रमीणाम, अर्थात गाय समृद्धि की अधिष्ठात्री है|
गाय की उत्पत्ति मूल रूप से समुद्र मंथन के दौरान हुई थी और यह नवरत्नों में से एक है| वह आठ प्रकार के धन का भंडार है और गो-लक्ष्मी से किसान धनवान बनते हैं| गाय पड़ोसी देश नेपाल का राष्ट्रीय पशु है| इंडोनेशिया में मुसलमान अभी भी अपने पूर्वजों, जो सनातनी थे, का अनुसरण करते हुए गायों का वध नहीं करते हैं| ईसा मसीह ने कहा था कि गाय की हत्या मनुष्य की हत्या के समान है| भगवान बुद्ध ने जहां गाय को मानव का मित्र बताया है, वहीं जैनियों ने गाय को स्वर्ग की संज्ञा दी है| बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि तुम मुझे मार सकते हो लेकिन गाय को चोट मत पहुंचाओ| पंडित मदन मोहन मालवीय ने गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध की वकालत की थी| गांधीजी ने गाय को दया की मूरत बताया और उसे भारतीय संस्कृति का प्रतीक माना| उन्होंने कहा कि वह भारत में ऐसा स्वराज्य नहीं चाहते जहां गायों की हत्या की जाय| हालांकि मवेशियों का वध और गोमांस का सेवन कई मुस्लिम त्योहारों और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, परन्तु देश का अधिकांश मुस्लिम नेतृत्व सर्वदा गोहत्या पर देशव्यापी प्रतिबंध के पक्ष में रहे हैं| ख्वाजा हसन निजामी ने अपनी पुस्तक तर्क-ए-गाओ कुशी में गाय को न मारने के संबंध में लिखा है| यहॉं तक कि अकबर, हुमायूँ और बाबर ने भी अपने राज में गाय की हत्या नहीं करने की अपील की थी| मैसूर के शासक हैदर अली ने तो गोहत्या को दंडनीय अपराध बना दिया था| भारत के संविधान के निर्माण के दौरान, संविधान सभा के कई सदस्यों ने गोरक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल करने पर जोर दिया था|
वैज्ञानिकों का मत है कि गाय ही एकमात्र जीवित प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन हीं छोड़ती है| यह अपने सींगों के माध्यम से ब्रह्मांडीय ऊर्जा को अवशोषित करती है| गौमूत्र में किसी भी प्रकार के कीटाणुओं को नष्ट करने का चमत्कारी गुण मौजूद है| यह दिल और दिमाग को उर्जा प्रदान करता है और बुढ़ापा को रोकता है| रूसी वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के गोबर से पुताई किया हुआ घर रेडियोधर्मी तरंगों से सुरक्षित रहता है| यज्ञ में घी के प्रयोग से आक्सीजन उत्पन्न होती है| शहरी कचरे पर गाय के गोबर का छिड़काव करने से सारी दुर्गंध दूर हो जाती है और कचरे खाद में परिवर्तित हो जाते हैं| कई अध्ययनों में यह दावा किया गया है कि फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ गाय के गोबर से उगाई गई फसल वाले अन्न खाने से कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है| शुष्क जलवायु और पानी की कमी वाले देशों में कृषि का पेशा काफी दुष्कर होता है| कुवैत जैसे देश जैविक खेती के लिए खाद तैयार करने हेतु भारत से गाय के गोबर का आयात कर रहे हैं|
मानव सभ्यता में हर जगह गाय को शुभ माना गया है और यह करुणा एवं पवित्रता का प्रतीक है| यह हमारे सामाजिक-आर्थिक जीवन की रीढ़ भी है| गाय की रक्षा एवं संरक्षण का संबंध किसी विशेष धर्म या आस्था से नहीं है| गाय भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और अपनी संस्कृति को बचाना प्रत्येक देशवासी का परम कर्तव्य है, चाहे वह किसी भी मत या पूजा- पद्धति का उपासक हो| उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पवित्र गंगा और यमुना नदियों को जीवंत मानव के रूप में कानूनी मान्यता संबंधी आदेश पारित किया है| इसी तरह गाय को भी वैधिक जीवंत मानव का दर्जा दिया जाना चाहिए| मानव जाति और प्रकृति को प्रदान किए जाने वाले असीम लाभ को दृष्टिपथ में रखते हुए गाय राष्ट्रीय पशु बनने की पात्रता रखती है|