टाइगर ट्रायम्फ में सैनिकों ने दिखाया दम, युद्ध गतिविधियों का शानदार अभ्यास किया
साझा अनुशासन और युद्ध की स्थिति पर प्रकाश डाला गया

खुखरी-आधारित मार्शल नृत्य 'गोरखा फ्यूरी' प्रदर्शित किया गया
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। भारत-अमेरिका त्रि-सेवा मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभ्यास टाइगर ट्रायम्फ 2025 के हिस्से के रूप में भारतीय सेना और अमेरिकी सशस्त्र बलों के सैनिकों ने संयुक्त शारीरिक प्रशिक्षण, मार्शल आर्ट और पर्वतीय युद्ध गतिविधियों में भाग लिया।
भारतीय सेना की एम्फीबियस ब्रिगेड के 8 गोरखा इन्फेंट्री बटालियन समूह, बाइसन डिवीजन और अमेरिकी सेना की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन के 'बॉबकैट्स' सैनिकों ने पूर्वी बेड़ा मुख्यालय के खेल परिसर में आयोजित संयुक्त योग और मार्शल आर्ट सत्र में भी भाग लिया।इन गतिविधियों में सूर्य नमस्कार सहित विभिन्न योग आसन शामिल थे। इसके बाद भारतीय सेना की स्वदेशी मार्शल आर्ट प्रणाली 'अमर' से परिचय कराया गया। इसके तहत दोनों टुकड़ियों द्वारा एकजुटता से संचालित निकट युद्ध तकनीक और आत्मरक्षा अभ्यास किए गए। इसमें साझा अनुशासन और युद्ध की स्थिति पर प्रकाश डाला गया।
इसके अलावा संयुक्त प्रशिक्षण आईएनएस कर्ण पर आयोजित किया गया, जिसमें पर्वतीय युद्ध कौशल और वर्टिकल गतिशीलता पर ध्यान केंद्रित किया गया। दोनों पक्षों के सैनिकों को पर्वतीय क्षेत्र के उपकरणों की जानकारी दी गई। उन्होंने विभिन्न नॉट्स और अड़चनों का अभ्यास किया। इस सत्र में चट्टान पर चढ़ने, रैपलिंग और फिसलने की तकनीकों का प्रशिक्षण भी शामिल था, जो पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में काम करने के लिए जरूरी होता है।
शाम को सांस्कृतिक आदान-प्रदान संबंधी कार्यक्रम हुआ। भारतीय सेना ने गोरखा सैनिकों द्वारा किया जाने वाला पारंपरिक खुखरी-आधारित मार्शल नृत्य 'गोरखा फ्यूरी' प्रदर्शित किया। इसे अमेरिकी सैन्य टुकड़ी ने बहुत सराहा।